KORBA: इंदिरा नगर रेलवे नोटिस पर सियासत तेज, मंत्री देवांगन की दखल के बाद कारवाई पर ब्रेक, ‘जय सिंह अग्रवाल’ के दौर की तुलना ने पकड़ा जोर

 


कोरबा 21 दिसम्बर 2025 (नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। इंदिरा नगर, कोरबा में रेलवे द्वारा मकानों को दिए गए तोड़फोड़ नोटिस को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। क्षेत्रवासियों के प्रतिनिधिमंडल ने उद्योग मंत्री लखन लाल देवांगन से उनके निज निवास कार्यालय कोरबा-कोहड़िया में मुलाकात कर चिंता जाहिर की। मंत्री देवांगन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए रेलवे के डीआरएम और कोरबा कलेक्टर से फोन पर चर्चा की और स्पष्ट निर्देश दिए कि बिना योजना की स्वीकृति, प्रयोजन की स्पष्टता और जनसंवाद के किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जाए।

मंत्री ने रेलवे अधिकारियों से दो टूक कहा कि पहले यह स्पष्ट करें कि जमीन का उपयोग किस उद्देश्य से होगा, योजना को स्वीकृति मिली है या नहीं। उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन, आम जनता और जनप्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद ही कोई निर्णय होगा। बैठक तक किसी भी कार्रवाई पर रोक लगाने के निर्देश दिए गए हैं। मंत्री देवांगन ने क्षेत्रवासियों से अपील की कि अफवाहों में न आएं, सरकार और जनप्रतिनिधि उनके साथ हैं, और बिना डर-भय के अपने घरों में निवास करें।

इधर, इंदिरा नगर में केवल तोड़फोड़ की आशंका ही नहीं, बल्कि एक राजनीतिक तुलना भी चर्चा का केंद्र बन गई है। गलियों में यह सवाल गूंज रहा है—“जय सिंह भैया होते तो हालात ऐसे नहीं होते।” यह तुलना पूर्व विधायक एवं छत्तीसगढ़ शासन के राजस्व मंत्री रहे जय सिंह अग्रवाल के कार्यकाल से की जा रही है, जब गरीब बस्तियों को उजाड़ने की बजाय पट्टे देकर सुरक्षा दी गई थी। तब सरकार का संदेश स्पष्ट था वर्षों से बसे लोगों का घर अतिक्रमण नहीं, उनका जीवन है।

वर्तमान स्थिति में रेलवे की ओर से तोड़फोड़ के नोटिस जारी हो चुके हैं, लेकिन सबसे बुनियादी सवालों के जवाब अब तक नहीं मिले तोड़फोड़ के बाद क्या बनेगा? विस्थापित परिवारों का पुनर्वास कहां होगा? मुआवज़े का रोडमैप क्या है? चिंता की बात यह है कि वर्तमान मंत्री और महापौर भी रेलवे से स्पष्ट जानकारी न मिलने की बात स्वीकार कर रहे हैं।

इंदिरा नगर में भय और असमंजस का माहौल है। कुछ परिवार मजबूरी में सामान समेटकर दूसरी जगह शिफ्ट करने लगे हैं। हालात का फायदा उठाते हुए किराए के मकानों की दरें अचानक बढ़ने की खबरें भी सामने आई हैं। वहीं, रेल पथ अभियंता कार्यालय कोरबा द्वारा 17 दिसंबर को जारी रिमाइंडर के बाद रेलवे अपनी अगली कार्रवाई को लेकर अडिग नजर आ रहा है। बताया जा रहा है कि तीसरी रेल लाइन के लिए अर्जित भूमि के आसपास यार्ड बनाने की तैयारी है, जिसके लिए सामग्री मौके पर रखी जा रही है। इससे दहशत और बढ़ गई है।

कुल मिलाकर, एक ओर मंत्री देवांगन ने फिलहाल कार्रवाई पर ब्रेक लगाकर राहत का संकेत दिया है, तो दूसरी ओर भरोसे की राजनीति बनाम अनिश्चितता की बहस तेज हो गई है। सवाल वही है क्या बिना बताए, बिना बसाए गरीबों को उजाड़ा जाएगा, या संवाद और संवेदनशीलता से समाधान निकलेगा? आगामी बैठक इस राजनीतिक और सामाजिक टकराव की दिशा तय करेगी।