कोरबा में 10 फीट का किंग कोबरा, रेस्क्यू कर सुरक्षित छोड़ा गया जंगल में

 



कोरबा,24 सितम्बर 2025 (नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। जिला अपनी समृद्ध जैव-विविधता और दुर्लभ वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। यहां कई बार ऐसे जीव दिख जाते हैं, जिन्हें देखकर आम लोग हैरान रह जाते हैं। इसी कड़ी में जिले के अजगरबहार गांव में एक अनोखा दृश्य सामने आया, जहां इंसान और जीवों के बीच संवेदनशीलता और सह-अस्तित्व का उदाहरण देखने को मिला।

दरअसल, सतरेंगा पर्यटन स्थल से लौट रहे कुछ पर्यटकों ने अजगरबहार गांव के पास सड़क पार कर रहे करीब 10 फीट लंबे किंग कोबरा को देखा। उन्होंने तुरंत गाड़ी रोकी और देखते ही देखते बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा हो गए। भीड़ के बढ़ते दबाव से किंग कोबरा सड़क पार करने के बजाय पास की झाड़ी में छुप गया। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए तुरंत वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी को सूचना दी गई।

रेस्क्यूअर जितेंद्र सारथी ने मामले की जानकारी डीएफओ कुमार निशांत को दी। उनके निर्देश पर एसडीओ आशीष खेलवार एवं सूर्यकांत सोनी के मार्गदर्शन में टीम मौके पर पहुंची। सबसे पहले ग्रामीणों और पर्यटकों को सुरक्षित दूरी पर किया गया और तय प्रोटोकॉल के तहत रेस्क्यू अभियान चलाकर किंग कोबरा को पकड़कर उसके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया।

डीएफओ कुमार निशांत का संदेश:

“वन्यजीव हमारे पर्यावरण और जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक हैं। किंग कोबरा जैसे दुर्लभ प्राणी हमारी जैव-विविधता की धरोहर हैं। ये हमें नुकसान नहीं पहुँचाते, बल्कि प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इसलिए इन्हें बचाना और संरक्षित करना हमारी जिम्मेदारी है।”

किंग कोबरा से जुड़े रोचक तथ्य:

किंग कोबरा को स्थानीय भाषा में “पहाड़ चित्ती” कहा जाता है।वन्यप्राणी (संरक्षण) अधिनियम-1972 के तहत इसे वर्ग-I में रखा गया है। इसे छेड़ना, मारना या नुकसान पहुँचाना अपराध है।

दुनिया का सबसे लंबा विषधर सांप है, जिसकी लंबाई 20 फीट या उससे अधिक हो सकती है। यह अन्य सांपों को खाकर उनकी संख्या नियंत्रित करता है। विश्व का एकमात्र सांप है जिसकी मादा पत्तों का घोंसला बनाकर लगभग 3 महीने तक अंडों की रक्षा करती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि किंग कोबरा बिना वजह हमला नहीं करता, केवल खतरा महसूस होने पर आक्रामक होता है।

संरक्षण का संदेश:

कोरबा में वन विभाग और नोवा नेचर वेलफेयर सोसायटी लगातार जनजागरूकता और रेस्क्यू अभियानों के माध्यम से यह संदेश दे रहे हैं कि इंसान और सांप का सह-अस्तित्व ही संरक्षण की दिशा में सबसे बड़ी पहल है।