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नारायणपुर, 11 सितम्बर 2025(नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले में सुरक्षाबलों की लगातार पहल और नक्सल उन्मूलन नीति के प्रभाव से 16 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़ समाज की मुख्यधारा में लौटने का संकल्प लिया। इनमें कई नक्सली सैफ हाउस लंका और डूंगा जैसे घोर नक्सल प्रभावित इलाकों से आए हैं।
समर्पण के दौरान सभी नक्सलियों को 50-50 हजार रुपये की प्रोत्साहन राशि का चेक दिया गया। आत्मसमर्पण करने वालों ने माओवादी संगठन के असली चेहरे का पर्दाफाश करते हुए कहा कि शीर्ष माओवादी नेता आदिवासियों के सबसे बड़े शत्रु हैं, जो समानता और न्याय के नाम पर उन्हें गुलाम बनाकर रखते हैं।
2025 में 164 नक्सलियों का आत्मसमर्पण:
इस साल अब तक 164 नक्सली विभिन्न स्तरों पर आत्मसमर्पण कर चुके हैं। प्रशासन ने भरोसा दिलाया है कि सभी को पुनर्वास नीति के तहत हर संभव सहायता और सुविधाएं दी जाएंगी।
‘स्लीपर सेल’ बनकर करते थे मदद:
आत्मसमर्पित नक्सलियों ने खुलासा किया कि वे छोटे पदों पर रहते हुए भी नक्सल गतिविधियों को जिंदा रखने में अहम भूमिका निभाते थे। वे बिना वेतन के हथियार और सामग्री का परिवहन, आईईडी लगाना, फोर्स मूवमेंट की जानकारी देना और इलाके की रेकी जैसे काम करते थे। ये नक्सली संगठन के लिए स्लीपर सेल की तरह काम करते रहे।
महिला नक्सलियों का दोहरा शोषण:
नक्सलियों ने संगठन के भीतर व्याप्त शोषण की सच्चाई उजागर की। उन्होंने बताया कि स्थानीय नक्सलियों का शोषण आम बात है, लेकिन महिला नक्सलियों का जीवन नरक बन चुका है। माओवादी लीडर्स उन्हें व्यक्तिगत दासी की तरह इस्तेमाल करते हैं और बड़े-बड़े सपने दिखाकर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण करते हैं।
एसपी की अपील – ‘मुख्यधारा में लौटें’
एसपी रोबिनसन गुरिया ने कहा कि अबूझमाड़ जैसे दुर्गम जंगलों में रहने वाले आदिवासियों को माओवादी विचारधारा से दूर ले जाना और विकास की धारा से जोड़ना हमारी प्राथमिकता है। उन्होंने नक्सली सदस्यों से अपील की कि वे बाहरी लोगों की भ्रामक विचारधारा को त्यागकर शासन की पुनर्वास नीति को अपनाएं।
यह आत्मसमर्पण केवल हथियार डालने की घटना नहीं, बल्कि बस्तर क्षेत्र में बढ़ते विश्वास और बदलते माहौल का संकेत है।