छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट सख्त: जर्जर सड़कों और हादसों पर एजेंसियों से जवाबदेही तय करने के निर्देश

 



बिलासपुर, 25 सितम्बर 2025 (नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)।छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने प्रदेश की जर्जर सड़कों और लगातार हो रहे सड़क हादसों पर कड़ा रुख अपनाया है। अदालत ने कहा कि नेशनल हाईवे-343 और एनएच-130 जैसे मार्गों की खराब स्थिति और ब्लैक स्पॉट आम लोगों की जान के लिए खतरा बने हुए हैं। पीडब्ल्यूडी और एनएचएआई के हलफनामों पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि अब संबंधित विभाग और कंपनियां जवाबदेह होंगी तथा शीघ्र सुधारात्मक कदम उठाने होंगे। अदालत ने चेतावनी दी कि नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और लापरवाही बरतने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। मामले की अगली सुनवाई 10 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

यह प्रकरण उस समय अदालत के संज्ञान में आया जब एक पिकअप वाहन के ब्रेक फेल होने से 19 लोगों की दर्दनाक मौत हो गई थी। हादसे की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेकर इसे जनहित याचिका में परिवर्तित किया।

पीडब्ल्यूडी सचिव ने जानकारी दी कि अंबिकापुर-रामानुजगंज-गढ़वा मार्ग (एनएच-343) की मरम्मत के लिए केंद्र से 740 करोड़ रुपये स्वीकृत हुए हैं। कार्य को तीन हिस्सों में बांटा गया है और मई 2025 में ठेके दिए जा चुके हैं। हालांकि बरसात के कारण कार्य प्रभावित है और फिलहाल 2.81 करोड़ रुपये की लागत से अस्थायी मरम्मत चल रही है। ब्लैक स्पॉट्स को सुधारने के प्रस्ताव भी केंद्र सरकार के पास लंबित हैं।

वहीं एनएचएआई ने बताया कि बिलासपुर, मुंगेली और बलौदाबाजार-भाटापारा जिले में चिन्हित 10 ब्लैक स्पॉट्स में से कई को हटा दिया गया है। बिलासपुर के सेंदरी जंक्शन पर नई सर्विस रोड का 90 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है जबकि लिमतरा मोड़ पर 3.98 करोड़ रुपये की लागत से सर्विस रोड बनाने का टेंडर जारी हो गया है।

कोर्ट कमिश्नर की रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि कोरबा-रायपुर एनएच-130 पर स्थित पावर प्लांट्स फ्लाई ऐश ढुलाई के दौरान सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे। ट्रकों से उड़ने वाली राख दिन में भी दृश्यता शून्य कर देती है, जिससे सड़क हादसों के साथ-साथ आसपास के गांवों में सांस की बीमारियां फैल रही हैं। कोर्ट ने पाया कि इससे हाईवे पर किया गया मरम्मत कार्य भी नष्ट हो रहा है।

अदालत ने एनटीपीसी और सीएसपीजीसीएल को छोड़कर अन्य पावर प्लांट्स — केएसके महानदी, डीबी पावर (बरादरहा), बालको, एसकेएस पावर, एसीबी पावर और अन्य निजी बिजली उत्पादकों से जवाब तलब किया है। साथ ही छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल को भी पक्षकार बनाकर हलफनामा पेश करने का निर्देश दिया है। हाईकोर्ट ने साफ किया कि अब इस मामले की नियमित मॉनिटरिंग की जाएगी।