खैरागढ़, 05 सितम्बर 2025(नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। खैरागढ़ जिले में प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तत्कालीन नायब तहसीलदार रश्मि दुबे को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने भूमि नामांतरण के एक मामले में गंभीर लापरवाही बरतते हुए न तो जमीन मालिक को नोटिस भेजा और न ही सुनवाई का अवसर दिया। इसके बावजूद उन्होंने सीधे अभिलेख में नाम परिवर्तन का आदेश पारित कर दिया।
दुर्ग संभाग के आयुक्त ने इसे छत्तीसगढ़ भू-राजस्व संहिता, 1959 के प्रावधानों का उल्लंघन मानते हुए आदेश को कानून के विपरीत करार दिया है।
मामला क्या है?
यह मामला वर्ष 2021 का है। जानकारी के मुताबिक, मनोज कुमार एवं अन्य द्वारा दायर दूसरी अपील की सुनवाई के दौरान रश्मि दुबे के आदेश को गलत पाया गया। जांच में सामने आया कि 21 अक्टूबर 2021 को पारित आदेश में पूरी न्यायिक प्रक्रिया को दरकिनार किया गया था।
मामला खसरा नंबर 163, रकबा 0.214 हेक्टेयर भूमि से जुड़ा है, जिसका वास्तविक स्वामित्व अश्वनी पिता रामाधीन के नाम दर्ज था। आश्चर्यजनक रूप से अश्वनी को इस प्रकरण में पक्षकार नहीं बनाया गया और उनकी सहमति के बिना ही भूमि से उनका नाम हटाकर अन्य व्यक्तियों का नाम दर्ज कर दिया गया।
जल्दबाजी में आदेश:
जांच में यह भी स्पष्ट हुआ कि 24 अगस्त 2021 को आवेदन प्रस्तुत हुआ और दो महीने से भी कम समय में बिना संपूर्ण कानूनी प्रक्रिया अपनाए आदेश जारी कर दिया गया। इससे यह साफ झलकता है कि मामले को जल्दबाजी में निपटाया गया।
कठोर संदेश:
दुर्ग संभाग के आयुक्त की जांच रिपोर्ट के आधार पर छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (वर्गीकरण, नियंत्रण एवं अपील) नियम, 1966 के तहत रश्मि दुबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय कलेक्टर कार्यालय कबीरधाम नियत किया गया है और उन्हें नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता मिलेगा।
यह फैसला राजस्व मामलों में बढ़ रही मनमानी पर सख्त संदेश देता है कि कानूनी प्रक्रियाओं का उल्लंघन किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।