शिक्षादूत योजना पर संकट: माओवादियों के निशाने पर गांव के शिक्षकदूत

 



बस्तर संभाग, 05 सितम्बर 2025(नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ में माओवादी हमलों ने शिक्षकों के बीच एक नया डर पैदा कर दिया है। बीते हफ्ते बीजापुर के लेंड्रा गांव में माओवादियों ने 25 वर्षीय शिक्षा दूत कल्लू ताती की हत्या कर दी।


इस साल अब तक माओवादी 6 शिक्षा दूतों को मौत के घाट उतार चुके हैं। उनका आरोप है कि ये शिक्षक पुलिस के लिए मुखबिरी करते हैं।


शिक्षादूत योजना के तहत आवेदन करने के लिए 12वीं पास होना जरूरी है। इस योजना में नियुक्त शिक्षकों को जिला खनिज फाउंडेशन (DMF) फंड से हर महीने 12,000 रुपये वेतन मिलता है। ग्राम पंचायत इनकी नियुक्ति करती है और उपस्थिति की पुष्टि के बाद जिला प्रशासन भुगतान करता है। शिक्षा को बढ़ावा देने और युवाओं को रोजगार देने वाली यह योजना अब संकट में है, क्योंकि शिक्षक बनना लोगों के लिए डर और दुविधा का कारण बन गया है।


छत्तीसगढ़ अस्थायी शिक्षक संघ के नेता गंभीर तेलम खुद इस दुविधा में हैं—नौकरी करें तो जान का खतरा है, नौकरी छोड़ें तो बेरोजगारी और गरीबी का सामना करना पड़ेगा। बीए पास गंभीर तेलम बताते हैं कि वे भी अब माओवादियों के निशाने पर हैं।


एक अधिकारी का कहना है कि पूछताछ सिर्फ शिक्षकों से नहीं, बल्कि सभी से की जाती है। वहीं एक वरिष्ठ अधिकारी का मानना है कि भारी नुकसान झेलने के बाद माओवादी अब हर किसी पर शक कर रहे हैं। यही वजह है कि वे पहले की तरह जनसुनवाई भी नहीं कर रहे।


इस योजना के तहत बीजापुर और सुकमा जैसे माओवादी प्रभावित जिलों में अब तक करीब 400 शिक्षक नियुक्त किए गए हैं। 2023 में पहले शिक्षादूत की हत्या के बाद शिक्षक एकजुट हुए और “छत्तीसगढ़ स्थानीय शिक्षादूत कल्याण संघ” की स्थापना की। 

हालिया घटना के विरोध में संघ की सुकमा इकाई ने बयान जारी कर माओवादियों से सवाल किया: इसको लेकर वीडियो में एक बयान भी जारी किया गया। इसमें कहा गया कि हम माओवादियों से पूछना चाहते हैं कि वे शिक्षादूतों को क्यों निशाना बना रहे हैं । क्या उनके पास कोई सबूत है कि हम पुलिस के लिए काम करते हैं? अगर हां, तो उन्हें किसी और की हत्या करने से पहले ये सबूत पेश करने चाहिए।