हाईकोर्ट ने कहा- पदोन्नति कर्मियों का अधिकार नहीं, पुलिस कर्मियों को बहाल करने का आदेश

 




बिलासपुर, 07 सितम्बर 2025(नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने सचिवालय सेवा भर्ती नियम 2012 में किए गए संशोधन को संवैधानिक मानते हुए कर्मचारियों की ओर से दाखिल सभी याचिकाओं को खारिज कर दिया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने स्पष्ट किया कि पदोन्नति किसी कर्मचारी का मौलिक अधिकार नहीं है, बल्कि यह सिर्फ विचार का अवसर है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय के. अग्रवाल और न्यायमूर्ति संजय कुमार जायसवाल की डबल बेंच ने की।


दरअसल, राज्य सरकार ने 14 जून 2021 को अधिसूचना जारी कर संयुक्त सचिव, उप सचिव, अवर सचिव और अनुभाग अधिकारी के पदों पर पदोन्नति के लिए स्नातक डिग्री अनिवार्य कर दी थी। इस नियम को मंत्रालय के अनुभाग अधिकारी और असिस्टेंट ग्रेड-1 समेत अन्य कर्मचारियों ने चुनौती दी थी, लेकिन हाईकोर्ट ने इसे सही ठहराया।


इसके अलावा, समानता के अधिकार पर भी हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा कि भेदभावपूर्ण तरीके से विभागीय जांच करना संविधान के अनुच्छेद 14 का गंभीर उल्लंघन है। यह फैसला चीफ जस्टिस रमेश सिंहा और जस्टिस विभूदत्त गुरु की डिवीजन बेंच ने सुनाया। मामला महासमुंद जिले का है, जहां गणतंत्र दिवस की ड्यूटी में लापरवाही के आरोप में प्रधान आरक्षक अलेकसियूस मिंज, आरक्षक दीपक विदानी और नरेंद्र यादव को सेवा से बर्खास्त किया गया था।


सिंगल बेंच ने तीनों को बहाल करने का आदेश दिया था। हालांकि, पुलिस विभाग ने केवल मिंज और विदानी को ज्वाइनिंग दी, जबकि नरेंद्र यादव को नहीं। इस पर यादव ने अवमानना याचिका दाखिल की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि पुलिस विभाग ने दुर्भावनापूर्ण कार्रवाई की है। हाईकोर्ट ने रिट अपील खारिज करते हुए नरेंद्र यादव को तुरंत ज्वाइनिंग देने और उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई न करने का आदेश दिया।