मध्य भारत में पहली बार बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने आयोजित की एसबीआरटी हैंड्स-ऑन वर्कशॉप

 



रायपुर, कोरबा, 23 सितम्बर 2025 (नवचेतना न्यूज़ छत्तीसगढ़)। मध्य भारत में कैंसर उपचार के क्षेत्र में अग्रणी बालको मेडिकल सेंटर (बीएमसी) ने अपने तीसरे छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव के अंतर्गत 21 सितंबर 2025 को मध्य भारत की पहली स्टेरियोटैक्टिक बॉडी रेडियोथेरेपी (एसबीआरटी) हैंड्स-ऑन कंटूरिंग वर्कशॉप का आयोजन किया। यह विशेष वर्कशॉप लीवर और पैंक्रियाज़ कैंसर पर केंद्रित रही, जिसमें देशभर से 100 से अधिक रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट, रेज़िडेंट डॉक्टर और मेडिकल फिज़िसिस्ट शामिल हुए।


एसबीआरटी अत्याधुनिक रेडियोथेरेपी तकनीक है, जो कैंसर ट्यूमर पर सटीकता से उच्च मात्रा में रेडिएशन पहुँचाती है और आसपास के स्वस्थ ऊतकों को सुरक्षित रखती है। इससे मरीजों को कम बार अस्पताल आना पड़ता है, उपचार की सफलता बढ़ती है और दुष्प्रभाव भी कम होते हैं। डॉक्टरों के लिए ऐसी वर्कशॉप न सिर्फ नई तकनीक सीखने का अवसर देती है, बल्कि स्थानीय स्तर पर मरीजों को विश्वस्तरीय उपचार उपलब्ध कराने की दिशा में भी अहम भूमिका निभाती है।


इस प्रशिक्षण का नेतृत्व देश के विख्यात विशेषज्ञों ने किया, जिनमें डॉ. स्वरूपा मित्रा (फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम), डॉ. रीना इंजीनियर (टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई), डॉ. सयान पॉल (अपोलो कैंसर इंस्टीट्यूट, कोलकाता) और डॉ. डेविड के. सिमसन (राजीव गांधी कैंसर इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली) शामिल रहे। अनुभवी मेंटर्स ने प्रतिभागियों को आम गलतियों से बचने, वास्तविक मामलों पर निर्णय लेने और इंटरएक्टिव चर्चा के जरिए सीखने का अवसर प्रदान किया।



बीएमसी रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. गौरव गुप्ता ने बताया कि लीवर और पैंक्रियाज़ जैसे जटिल अंगों में टारगेट डिलिनीएशन और ट्रीटमेंट प्लानिंग के लिए हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग बेहद महत्वपूर्ण है। वहीं, डॉ. आलोक कुमार स्वैन, सुपरिटेंडेंट एवं डायरेक्टर, एनेस्थीसिया एंड क्रिटिकल केयर, ने कहा कि एसबीआरटी जैसी आधुनिक तकनीकें कैंसर उपचार का स्वरूप बदल रही हैं और मरीजों को अधिक प्रभावी व सटीक इलाज दे रही हैं।


वेदांता मेडिकल रिसर्च फाउंडेशन की चिकित्सा निदेशक डॉ. भावना सिरोही ने कहा कि ऑन्कोलॉजी लगातार बदलने वाला क्षेत्र है। ऐसे में डॉक्टरों को नई प्रगति से अपडेट रहना जरूरी है। इस वर्कशॉप का उद्देश्य विश्वस्तरीय विशेषज्ञता को मध्य भारत तक पहुँचाना और स्थानीय स्तर पर उच्च स्तरीय कैंसर उपचार सुनिश्चित करना है।


यह वर्कशॉप तीसरे बीएमसी छत्तीसगढ़ कैंसर कॉन्क्लेव का हिस्सा रही, जिसमें 10 अंतरराष्ट्रीय और 200 राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भाग लिया। ‘ड्राइविंग कॉमन-सेंस ऑन्कोलॉजी – मल्टीडिसिप्लिनरी मैनेजमेंट ऑफ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल, जेनिटोयूरिनरी एंड लंग कैंसर’ थीम पर आयोजित इस कॉन्क्लेव में बहु-विशेषज्ञ प्रबंधन पर गहन चर्चा हुई और कैंसर उपचार के नए मानक स्थापित किए गए।